पलामू के आयुक्त जटाशंकर चौधरी पहुंचे हरिहरगंज, ‘स्ट्रॉबेरी‘ की खेती का किया अवलोकन*
पलामू में स्ट्रॉबेरी की खेती को बढ़ावा मिलेगा। इससे किसान स्वावलंबी बनेंगे और पारंपरिक खेती से हटकर स्ट्रॉबेरी सहित संभावना वाली अन्य फसलों को लगाने के लिए प्रेरित होंगे। इससे किसान न केवल अपनी आर्थिक आमदनी को बढ़ायेंगे, बल्कि युवा पीढ़ी भी खेती को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे। यहां की स्ट्रॉबेरी की फल साइज बेहतर है और बाजार की मांग के अनुरूप है। इसका रंग व मिठास भी ठंड़े क्षेत्रों जैसा है। यह बातें पलामू आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने कही। वे आज हरिहरगंज में किसानों द्वारा किये जा रहे स्ट्रॉबेरी की खेती का अवलोकन कर रहे थे।
उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे दीपक मेहता व अन्य किसानों से बातचीत कर पलामू में स्ट्रॉबेरी की खेती एवं अन्य नकदी खेती की संभावनाओं को जाना। आयुक्त ने गर्मी के मद्देनजर स्ट्रॉबेरी की खेती में सिचाई का पूरा ध्यान रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि खेतों में स्ट्रॉबेरी को अधिक नहीं पकने दें, इससे फल बर्बाद होगा। उन्होंने फल में लालिमा आने पर, उसकी तोड़ाई कराने की सलाह दी, ताकि थोड़ा हुआ फल भी अधिक समय तक सुरक्षित रह सके। उन्होंने खेतों में खर-पतवार की निकौनी करते रहने की भी सलाह दी। किसानों द्वारा स्ट्रॉबेरी की मेढ़ पर खीरा का फसल लगाया गया था, जिसे देख आयुक्त प्रभावित हुए और कहा कि एक फसल की समाप्ति से पहले दूसरी फसल का तैयार होना किसानों की मेहनत व आत्मविश्वास का परिचायक है।
आयुक्त ने किसान दीपक मेहता से स्ट्रॉबेरी की नर्सरी, उसे बाजार में बेचे जाने की प्रक्रियाओं और बाजार मूल्यों से अवगत हुए। इस दौरान किसानों ने उन्हें बताया कि यहां की स्ट्रॉबेरी पलामू सहित राज्य के अन्य जिलों एवं दूसरे राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़ तथा बंगाल के कई शहरों में इसकी मांग है और यहां से भेजा जाता है। यहां तक कि बिग बाजार जैसे बड़े मॉल में भी जा रहा है। किसानों ने और अधिक खेत की उपलब्धता कराने संबंधित आयुक्त के समक्ष मांग रखी, ताकि स्ट्रॉबेरी की खेती ज्यादा मात्रा में की जा सके।
आयुक्त ने कहा कि स्ट्रॉबेरी की मूल्यसंवर्धन के लिए छोटी प्रोसेसिंग यूनिट एवं जूस बनाने का प्लांट लगाए जाने से किसानों को और फायदा होगा। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर पहल की जाएगी। जूस बनाने की व्यवस्था से अधिक पक जाने वाले फल को बर्बाद होने की जगह जूस तैयार कर बिक्री की जाएगी, ताकि किसानों को उससे भी मुनाफा हो सके।
उन्होंने कहा कि परंपरागत खेती से अलग स्ट्रॉबेरी जैसी खेती से किसान नकदी उपार्जन कर अपनी आय को बढ़ा रहे हैं। खेती की नई तकनीक का इस्तेमाल कर अधिक उत्पादन किया जा रहा है। यह उनके अच्छे सोच एवं परिश्रम का द्योतक है। संभावना है कि निकट भविष्य में माननीय कृषि मंत्री शीघ्र ही हरिहरगंज की स्ट्रॉबेरी के किसानों से रू-ब-रू होंगे, ताकि इनकी मेहनत के बेहतर परिणाम से राज्य की समृद्धि हो।
किसान दीपक मेहता ने बताया कि उन्होंने परंपरागत खेती से हटकर कुछ अलग करने को सोचा और वैकल्पिक खेती की ओर कदम बढ़ाते हुए स्ट्रॉबेरी की खेती करना प्रारंभ की। इसके खेती से उसे न केवल अपनी आमदनी बढ़ी, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार दी। साथ ही उससे प्रेरित होकर अन्य किसानों ने भी स्ट्रॉबेरी की खेती करना प्रारंभ किया, जिससे किसानों की जीवनशैली में सुधार आ रहा है।
‘स्ट्रॉबेरी‘ की क्यारियों को प्लास्टिक शीट से ढककर टपक सिचाई के माध्यम से सिचाई किया जा रह है। उन्होंने बताया *हरिहरगंज में 11 किसान मिलकर 36 एकड़ में स्ट्रॉबेरी* की खेती कर रहे हैं। इसके अलावा नौडिहा बाजार, हुसैनाबाद आदि पलामू के विभिन्न क्षेत्रों के 72 एकड़ की भूमि पर स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है। इससे किसानों को प्रति एकड़ तीन से चार लाख रुपये का फायदा हो रहा है। हरिहरगंज के दीपक मेहता के साथ शुभम, रौशन, राजीव रंजन, छोटन आदि किसान जुड़कर सामूहिक रूप से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं।
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